द गर्ल इन रूम 105–७४
अध्याय 13
'अब इतने सेल्फ कॉन्शियस भी मत रहो,' जारा ने कहा। हम वेस्टएंड ग्रीन्स में आए थे। यह दिल्ली-गुड़गांव सीमारेखा पर मौजूद एक सुपर- अपरकेल फार्महाउस ओनली नेबरहुड था। हम एक ओला टैक्सी लेकर यहाँ आए थे। एक आईआईटीयन ने इस कंपनी को स्थापित किया था और इसकी वैल्यू पहले ही अरबों रुपए की हो चुकी थी। मैं इस लेवल का कोई आइडिया क्यों नहीं सोच पाया था? आइडिया तो क्या, मुझे एक ढंग का जॉब भी क्यों नहीं मिल पाया था? मैं तो अपनी हाई की गांठ भी ठीक से नहीं लगा पा रहा था।
"ऐसा लगता है, ये टाई मनमानी करना चाहती है, मैंने कहा। "यह सूट पहनने की क्या जरूरत थी? तुम मेरी फैमिली में मिल रहे हो, ये कोई इंटरव्यू नहीं है।' "वो मुझको सूट में देखेंगे तो समझेंगे कि में प्रोफेशनल हूं। नहीं तो जैसे ही मैंने ट्यूशन्स का नाम लिया,
समझो खेल खत्म हो गया।" 'बो ट्यूशन्स नहीं हैं। तुम एक कटिंग एज टेस्ट प्रिपरेशन सेंटर में फैकल्टी हो,' जारा ने कहा। जब जारा ऐसे बोलती थी तो मुझे लगने लगता था कि शायद मेरा कैरियर इतना बुरा भी नहीं है, जितना
मुझको लगता है। इसीलिए तो मैं उससे प्यार करता था। वह हर चीज़ में बेस्ट देख लेती थी। हमारी वैगन आर एक बंगले में घुसी। वॉचमैन ने दरवाज़ा खोला। ये तुम्हारा घर है? और तुम उस छोटे-से हॉस्टल रूम में रह रही हो?" मैंने कहा। आधे एकड़ में फैले उसके
बंगले में वॉलीबॉल कोर्ट जितना बड़ा तो गार्डन ही था।
मुझे अपना रूम पसंद है। रूम नंबर 1015, वो मेरी जिंदगी है।' "लेकिन तुम यहां भी एक अच्छी जिंदगी बिता सकती हो।'
"कैंपस में रहना ही बेहतर है। इतनी दूर रोज़ आना-जाना आसान नहीं। ओके, फाइनल चेक्स, मिस्टर टाई ठीक है, बेल्ट और शूलेस भी? और नवंस तो नहीं हो? ऑल गुड?' जारा ने मेरी नाक पकड़ते हुए कहा। क्या मैंने
पहले कभी यह बताया था कि वो हमेशा मेरी नाक पकड़ती रहती थी? बहुत एनॉइंग
'आप थोड़ा और गोश्त लेंगे?' सफ़दर ने अपनी रौबीली आवाज़ में कहा। हम लंच के लिए इतनी बड़ी-बड़ी कुर्सियों पर बैठे थे कि मुझे माइथोलॉजिकल टीवी सीरियल में दिखाए जाने वाले सिंहासनों की याद आ गई।
सफ़दर उस अठारह कुर्सियों वाली डायनिंग टेबल के हेड के रूप में बैठे थे। उन्होंने काला बंगले का कोट, सोने के दो ब्रेसलेट और बाई कलाई पर रोलेक्स घड़ी पहनी थी। उनकी फ्रेंचट दाढ़ी बाकायदा काले रंग से डाई की गई थी। मेरे बाई तरफ बैठी उनकी बीवी ने अभी तक बहुत कम बातें की थीं। उन्होंने पिंक सिल्क सलवार-कमीज़ पहनी थी और दुपट्टे से सिर को डंक रखा था। उनके डायमंड नेकलेस की क़ीमत द्वारका-गुड़गांव एक्सप्रेस वे पर मौजूद किसी छोटे-मोटे अपर-क्रस्ट अपार्टमेंट से कम नहीं होगी। उनके
बाल कुदरतन काले लग रहे थे। उनकी उम्र जारा से कोई दस साल से ज्यादा की नहीं रही होगी।
"नहीं सर, मेरा पेट भर चुका है, ' मैंने कहा, जबकि मैंने ठीक से खाना नहीं खाया था।
"तो, जारा बताती है कि उसकी और तुम्हारी खूब गहरी दोस्ती है,' सफ़दर ने छुरी कांटे से बिरयानी बाते
हुए कहा। मुझसे उलट, जारा ने पहले ही अपने पैरेंट्स से बात कर ली थी और उन्हें सब बता दिया था। इसलिए मैंने